विक्रमादित्य वैदिक घडी का क्यों है खास इसका उद्घाटन | अपडेट भारत

325 views Feb 25, 2024

मध्यप्रदेश के उज्जैन में 1 मार्च को वैदिक घड़ी का उद्घाटन किया जाएगा . यह समय तय करने की प्राचीन भारतीय प्रणाली को फिर से पेश करने की कोशिश है . विक्रमादित्य वैदिक घड़ी है . यह भारतीय काल गणना की जो विश्वशनीय प्रामाणिक और सबसे प्राचीनतम पद्धति है उसके आधार पर इसको विकसित करने का प्रयास किया गया है . सूर्योदय से हमारे जीवन का प्रारंभ होता है समय का प्रारंभ दिन का प्रारंभ होता है जो स्टैंडर्ड टाइम या ग्रीनविच टाइम है . उसमें सामान्यतः रात को 12:00 के बाद वह मान लेते की दिन बदल गया जबकि दिन बदलते नहीं है . दिन तो बदलते सूर्योदय के साथ-साथ तो उन्होंने इसलिए उसे पद्धति से हटकर अपनी प्राचीन पद्धति को अंगीकार करने का प्रयास किया है और स्थापित करने का प्रयास किया और कोशिश होगी कि यह न केवल अंग्रेजी न केवल हिंदी में बल्कि जल्दी यह भारतीय भाषाओं में और अन्य भाषाओं में वैश्विक भाषाओं में भी यह इसकी सूचनाओं लोग देख सके समझ सके. घड़ी का मकसद वैदिक प्रणाली के अनुरूप पूरे दिन के समय को 30 मुहूर्तों में पेश करना है जो समय की जो सूचना है मुहूर्त की जो सूचना है वह तो रहेगी इसके साथ-साथ हमने ग्राफिक्स इंटीग्रेशन में जो समस्त ज्योतिर्लिंग है द्वादश ज्योतिर्लिंग वह है . अयोध्या में जो नवनिर्मित राम मंदिर है उसका शिल्प उसको भी इंटीग्रेटेड करने का प्रयास किया गया है इसके अलावा कैलाश मानसरोवर है और जो देश और दुनिया के जो महत्वपूर्ण मंदिर है उनको भी समाहित करने का प्रयास किया गया है . जंतर मंतर पर 85 फीट ऊंचे टावर पर लगाया जाएगा . यह उज्जैन में 300 साल पुरानी जीवाजी वेधशाला में है #वैदिकघड़ी #मध्यप्रदेश #उज्जैन #विक्रमादित्यवैदिकघड़ी #भारतीयकालगणना #प्राचीनपद्धति #सूर्योदय #मुहूर्त #ग्राफिक्सइंटीग्रेशन #द्वादशज्योतिर्लिंग